यहां हम आपको भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-1990) के नोट्स प्रस्तुत कर रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था पर ये नोट्स संक्षिप्त हैं। हालांकि, ये अध्याय के हर पहलू को ध्यान में रखते हैं। ये नोट्स चार भागों में हैं। इन नोट्स के पहले भाग में संक्षिप्त नोट्स हैं।दूसरे भाग में अध्याय से संबंधित महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं। तीसरे भाग में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) हैं। चौथे भाग में कुछ महत्वपूर्ण लिंक हैं। आशा है कि आप भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-1990) के नोट्स का आनंद लेंगे।
PART-1
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भारत को 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। स्वतंत्रता के बाद, भारत ने मिश्रित आर्थिक प्रणाली (पूंजीवाद और समाजवाद दोनों की विशेषताओं वाली प्रणाली) को अपनाया। सोवियत संघ से प्रेरणा लेते हुए भारत ने विकास रणनीति के रूप में आर्थिक नियोजन को अपनाने का फैसला किया। योजना आयोग की स्थापना मार्च 1950 में की गई थी। जिसके पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री थे और पहली योजना 1951 में शुरू हुई। भारत ने January, 2015 में योजना आयोग को नीति (NITI-नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) आयोग से बदल दिया और 12 योजनाओं को पूरा करने के बाद 2017 में पंचवर्षीय योजनाओं को रोक दिया गया।
योजनाओं के सामान्य लक्ष्य/उद्देश्य
आर्थिक वृद्धि: सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि करना ताकि उच्च आर्थिक वृद्धि का लाभ समाज के सबसे पिछड़े व्यक्ति तक भी पहुंचे।
आधुनिकीकरण: वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में नई तकनीक और सामाजिक दृष्टिकोण (महिला सशक्तिकरण) में परिवर्तन।
आत्मनिर्भरता: यह विदेशी निर्भरता और हस्तक्षेप से बचने के लिए वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के लिए अपने संसाधनों के उपयोग पर केंद्रित थी।
समानता: समाज के गरीब वर्ग को उनके जीवन स्तर और सामाजिक स्थिति को बढ़ाने के उचितअवसर प्रदान करना।